क्षत् विक्षत् मूर्तियाँ
क्षत् विक्षत् मूर्तियाँ
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जो समाज के द्वारा क्षत विक्षत कर दी गई हैं
तुम वो टूटी हुई मूर्तियाँ खरीद लोगे न
मनोबल और साहस अब न उनके सिर होगा
देकर साथ तुम उनका फिर से जीवित कर दोगे न
टूट गया है आत्मसम्मान भी अब शायद उनका
तुम थामकर हाथ समाज के निंदाओं से भरे
घुंट पी लोगे न
वो कटे हुए वक्ष से बहता खून और जिस्म के घाव
दे कर सहारा तुम उन जख्मों को भरने दोगे न
वो शायद अब कभी खुलकर हँसेगी नहीं
तुम मंद मुस्कान का कारण बनोगे न
वो अब अंधेरे तहखाने में खुद को बंद कर लेना चाहती है
तुम जलकर ज़रा सा उसे भी रौशन कर दोगे न
यदि नहीं ले सकते तुम वो टूटी मूर्तियाँ
तो आज ही सबके समक्ष फैसला भी कर दो न