समाज सेविका , भावनावादी
अवांछनीय पदार्थों को नहीं तुझ में मिलने दूंगा हाँ माँ सदा तेरी रक्षा करूँगा। अवांछनीय पदार्थों को नहीं तुझ में मिलने दूंगा हाँ माँ सदा तेरी रक्षा करूँगा।
तुम मंद मुस्कान का कारण बनोगे न तुम मंद मुस्कान का कारण बनोगे न
बिक जाती है कोई मजबूर बेरहमी के इस दरबार में। बिक जाती है कोई मजबूर बेरहमी के इस दरबार में।
मिल रहा संकेत है स्वयं में ही अनिकेत है मिल रहा संकेत है स्वयं में ही अनिकेत है
हां तुम प्रेम हो मैं तुम्हें सदैव जीना चाहती हूं। हां तुम प्रेम हो मैं तुम्हें सदैव जीना चाहती हूं।
कभी वक्त बितता जाता कहीं कोई फिर रुक जाता कभी होते ग़म में सराबोर कभी वक्त बितता जाता कहीं कोई फिर रुक जाता कभी होते ग़म में सराबोर