क्या तुम प्यार करोगी ?
क्या तुम प्यार करोगी ?
क्या तुम मुझसे थोड़ा प्यार करोगी, सीने तुम से मुझे क्या अपने लगाओगी,
अगर हाँ.. तो जठ पड़े बालों में मेरे अपनी जादुई उंगलियों को फेरना,माथे को पीछे से ज़रा सा सहलाना,
अपनी कीमती उँगलियों से मेरे बालों को टटोलना, जो अश्रु न जाने कब से बह रहे हैं मेरे उन्हें मेरे होठो पर से पोछ डालना,
अपनी गुलाबी मखमली हथेलियों से मेरी धूल लग चुकी किस्मत को सहलाओ,गोद में सिर रखूँ अपना अगर तो उसे आहिस्ते से देर तक चूमना,
देखो न ठोकर खा-खा कर इन कांपती हुई लहूलुहान उंगलियों के नख तक टूट चुके हैं,देखो न अब तो पैरों पर लगे छाले भी छिल चुके हैं,
सर्द हवाओं के थपेड़ों ने जो बदन पर मेरे चोट की है उन्हें देखो न,फ़टी हुई चमड़ी से जो रिस रहा है दर्द मेरा उसे देखो न,रुखडे हो चुके होठ मेरे देखो,निर्जीव हो चुकी मीठी आंखों को देखो,देखने से तुम्हारे अहयड में फिर से जीवंत हो जाऊं,
ज़माने ने जो अनगिनत छेद कर डाले हैं दिल पर मेरे उनसे अब लहू टपकता नहीं,न जाने पहले की तरह मेरा दिल अब क्यों धड़कता ही नहीं,
पास बुलाओ मुझे गले लगाओ,जो एक आँसू तुम्हारा गिरे मुझपर शायद मैं ठीक हो जाऊं,थरथराते बदन पर जो हाथ फेरो अपने तो दुलार से मैं पवित्र हो जाऊं,
कानों में मेरे नाम पुकारो मेरा जो जमें हैं आंसू मेरे वो पिघल जाएं,गर्म सांसे जो स्पर्श करें तुम्हारी मुझे तो मुझे थोड़ी नींद आ जाये,सिमट कर रह जाऊं मैं तुममे बस इस आशा में की क्या तुम मुझे कुछ ज्यादा नहीं बस इस तरह थोड़ा सा ही दुलारोगी ?
