नूतन रंग
नूतन रंग
पीत वर्ण का नंदगाँव,श्याम रंग की वृषभानुजा
कृष्ण रंग में मीरा रँगी,जमुना रंग में शैलजा।
भक्ति रंग में रसिक मर्त्य,अनुराग में भाई-भ्राता
होरी रंग में जो भी घुले,वही बने वह संधाता।
हरा रंग लो सावन से ,पीला रंग फूलों से लो
धौ से लो वर्ण कबुदी का, धरा से लो रंग मिट्टी का
गेरुआ से रंगों अंतःकरण अपना, समीरण से लो सादापन
निचोड़ो जो इन रंगों को हथेली पर, प्रणयन हो नवीन भारतवर्ण का।
इस नूतन वर्ण का नया कुल हो, जाति-धर्म न जिसके हों,
ईर्ष्या- द्वेष से सभी अनभ्यस्त हो जाएं, कुछ ऐसा गुण इस नव्य वर्ण का हो,
इस होली जो सब पर यह रंग चढ़े सारे जन एक रंग के हों।
