क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
सामान्य नियम
सामान्य नियम यह होना चाहिए
जब किसी दोस्त को
आपकी ज़रुरत हो
बिना सोचे,
कि आपको कोई
खतरा होगा
असुविधा होगी
कोई समस्या होगी
कदम उठाना चाहिए
उसकी मदद को
यह हमारा कर्त्तव्य है।
निराशा
क्या आप जानते हैं
हर रिश्ते में है निराशा
समीप से समीप रिश्तों में भी। कितने ही रिश्ते
जिन्हें हम जी जान से चाहते हैं जिनके बिना हम समझते हैं
जीना है मुश्किल
अंत में निराशा ही हाथ लगती है।
फसल
समय आने पर ही
बीज अंकुरित होगा
पौधा बनेगा
समय आने पर ही फसल पकेगी समय आने पर ही कटेगी
चिन्ता काहे की।
