चांद का गुरूर
चांद का गुरूर


चंदा आज तेरी चांदनी भी काली हुई,
जैसे ग़म की कोई बुरी परछाई हुई।
गुरुर था तुझे भी मेरी तरह,
देख आज तेरे साथ भी बेवफाई हुई।।
ऐ चांद, कर लुंगा तुझे मैं हासिल,
चांदनी बना था अब तक,
आज दाग बनकर तुझ में हूँ शामिल,
ऐ चांद, कर लुंगा तुझे मैं हासिल!!