Shivankit Tiwari "Shiva"

Tragedy Others

4.8  

Shivankit Tiwari "Shiva"

Tragedy Others

"क्या लिखूं मैं"

"क्या लिखूं मैं"

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क्या लिखूं मैं..

इस लचर और लाचार शिक्षा प्रणाली पर,

क्या लिखूं मैं..

रोज दे रहे माँ - बहन की गन्दी गाली पर,

क्या लिखूं मैं..

देश में सरेआम फैलते हुये गुंडाराज पर,

क्या लिखूं मैं..

सच्चाई और न्याय की दबती हुई आवाज़

पर,

क्या लिखूं मैं..

लगातार ग़रीबों पर हो रहे अत्याचार पर,

क्या लिखूं मैं..

महलों के प्रकाश और झोंपड़ी के अंधकार

पर


क्या लिखूं मैं..

आम जनता के सवालों पर साधते

सरकार की चुप्पी पर,

क्या लिखूं मैं..

सरकार के बदलते हुये भेष की लुक्का

छुप्पी पर,

क्या लिखूं मैं..

लड़कियों पर गंदी टिप्पणियों और हर

रोज चरित्र पे उठते सवाल पर,

क्या लिखूं मैं..

हवसी दरिंदो की नंगी निगाहों और जिस्म

का कारोबार करने वाले दलाल पर,

क्या लिखूं मैं..

हवस का शिकार बना बच्चियों के साथ

खिलौनों की तरह खेलते उस नौजवान पर,

क्या लिखूं मैं..

की जब ऐसी खबरें सुनता हूं तो तरस

आता है मुझे हिन्दुस्तान पर,


क्या लिखूं मैं..

देश को जातियों और धर्मों में बांटने वाले

उस हिन्दू और मुसलमान पर,

क्या लिखूं मैं..

इंसान के लगातार गिरते हुये चरित्र और

ईमान पर,

क्या लिखूं मैं..

मज़बूरी और हालातों से लड़कर मरते

हुये देश के किसान पर,

क्या लिखूं मैं..

देश की ख़ातिर सरहद पर शहीद होते

भारत माँ उस वीर जवान पर,

क्या लिखूं मैं..

सरकारी अस्पतालों में मर रहे उन गरीबों

की दुर्दशाओं पर,

क्या लिखूं मैं..

बेटे के इंतज़ार में बैठे उन बूढ़े माँ बाप की

आशाओं पर,

क्या लिखूं मैं..

देश की प्रगति पथ पर रोड़ा बन रहे भीतर

घातियों पर,

क्या लिखूं मैं..

ऊंच,नीच, छोटी,बड़ी इस तरह देश में

बंटी हुई जातियों पर,

क्या लिखूं मैं..

भारत भूमि से नष्ट हो रहे प्राचीन धरोहरों के

अस्तित्व पर,

क्या लिखूं मैं..

लोगो की छोटी सोच,ओछी मानसिकता

और गिरे हुये व्यक्तित्व पर,


क्या लिखूं मैं..

सड़को, फुटपाथों, स्टेशनों में हाथ में कटोरा

थामे भीख मांगते उन मासूमों पर,

क्या लिखूं मैं..

बचपन में स्कूल की जगह होटलों में बालश्रम

करते उन महरूमों पर,

क्या लिखूं मैं..

देश में रहकर देशद्रोही नारा लगाने वाले

गद्दारों पर,

क्या लिखूं मैं..

जनता को गुमराह करके देश को खोखला

करने वाले नेताओं और सरकारों पर,

क्या लिखूं मैं...

लिखना चाहता हूं मैं अखंडता व एकता से

परिपूर्ण अद्भुत और अद्वितीय हिन्दुस्तान,

जहां सभी धर्मों,जातियों,वर्गो के लोग एकता

से मिलजुल कर रहे एक साथ एक समान...


        


       

        

        

        

         


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