“नारी ”
“नारी ”
“नारी” नम्र, नियम, न्याय, निष्ठा से परिपूर्ण
एक अद्भुत निकेतन है।
“नारी” संस्कृति, सभ्यता, संवेदना, संकल्प, स्वाभिमान,
सम्मान, सद्गुण एवं स्नेह की सर्वश्रेष्ठ संरक्षिका है।
“नारी” यानी सदैव क्रियाशील रहना, हलचल करना
एवं सदैव नेतृत्व करना ।
“नारी” तिरस्कार, निरादर, अवहेलना की नहीं बल्कि
स्वीकार्यता, आदर एवं अपेक्षाओं की प्रतिमूर्ति एवं प्रतीक है।
“नारी” बाह्य खूबसूरती में लिपटा लिबास नहीं
बल्कि अंतर्मन की सौंदर्यता का पवित्रतम् नाम है।
“नारी” आज नर के समानांतर ही प्रत्येक कार्य करने में
पूर्णतया सक्षम है।
“नारी” अपने प्रत्येक रूप में पूज्यनीय है
एवं नारी के बिना सृष्टि की कल्पना असंभव है।
“नारी” मानवता, ममता की प्रति मूर्ति भव्य मुक्ति का द्वार है,
इस सृष्टि पर जीवन का उद्देश्य व आधार है ।