मेरे देश के हालात
मेरे देश के हालात
कुछ इस तरह से हुए हैं
मेरे देश के हालात
बिक बैठे इस देश के
नेता चंद सिक्कों के लिए
इन्ही सिक्कों में दिखलाते
है वो देश की औकात।
सोने की चिड़िया कहे जाने
वाले देश में, सोना तो बस
जेब में रह गया,
सोने सी जमीनें बंजर हो गयी,
और देश इमारतों का
नमूना हो गया।
सड़को पर माल कुछ ऐसा
बिछाया, एक हल्की बारिश
में बस गड्ढे ही रह गए।
कुछ इस तरह से हुआ मेरे
देश का हाल
शिक्षा व्यापार का हिस्सा
बन गयी,
और महँगाई कुछ इस तरह
आसमान छू गयी,
उच्च वर्ग का तो पता नहीं,
पर माध्य्म वर्ग जरूर
गरीब हो गया।
इंजीनियर, डॉक्टर,
और टीचर्स बन गए व्यापारी
और आम आदमी तो इनके
इशारों की कठपुतली रह गया।
क्या कहूँ की मेरे देश का
हाल कैसा हो गया
अगर जुगाड़ के बदले,
परफेक्शन होता तो देश
अब तक विकसित राष्ट्र
बन चुका होता
पर कुछ रुपया बचाने के
लालच में देश कमजोर हो गया।
देश मे महिलाओं की स्थिति
आज भी वही है,
पढ़ ले चाहे कितना भी
पर चुल्हा फूक रही है
दहेज़ की आड़ में जिंदा
जल रही है, पी कर खून
का घूट जीवन जी रही है।
ना बच्ची ना जवान ना
बूढ़ी है हिफाज़त में
हैवानों की नजर उन्हें
कुछ ऐसे छू रही हैं।
क्या कहूँ मेरे देश का
हाल बेहाल हो गया।
रिजर्वेशन के नाम पर
बाँट दिया इंसान को
99%वाला जोकर रह
गया औऱ 35%वाला
राजा हो गया
किस तरह का भविष्य
निर्माण है ये ,
क्या कहूँ की मेरे देश का
हाल कैसा हो गया।
