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कुमार संदीप

Tragedy

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कुमार संदीप

Tragedy

बेवक्त क्यूं हमसे दूर चले गए ?

बेवक्त क्यूं हमसे दूर चले गए ?

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मुझे आज भी वह दिन याद है,

पापा जब जीवन के झंझावातों से आप परेशान रहते थे।

पर आप परिवार की खुशी के लिए

अपना गम और उलझन भूल जाते थे।


हाँ पापा आप झूठ बोलते थे कि मैं ठीक हूँ

मुझे कोई दिक्कत नहीं,सच तो ये था कि आप बहुत परेशान थे।

काश ! वक्त का पहिया वापस लौटता

आप फिर से हमारे बीच आ जाते

पर ये संभव हो तो हो कैसे ?


मुझे आज भी वह दिन याद है,

पापा जब आप खुद बीमार रहते थे

जब आपको चिकित्सक से परामर्श के लिए कहता था तो

अचानक से आपके चेहरे पर झूठी मुस्कान दिखाई देने लगती थी।

हाँ पापा आप दुःखी रहते थे

फिर भी खुश रहने का दिखावा करते थे।


मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता था कि आपके जैसा पिता

ईश्वर हर पुत्र को दे,आप हमसे आज बहुत दूर हैं पर दिल कहता है

कि आप आज भी मेरे दिल के बहुत करीब हैं।


मुझे आज भी वह दिन याद है,

पापा जब आप सूर्योदय होने से पूर्व ही

काम पर चले जाते थे,

हाँ आप जाते थे हमारी खुशी के लिए।


अपना आज कुर्बान करने,

हाँ आप जाते थे बेटे के जीवन में आने

वाले सभी गम़ को दूर करने के लिए।

पता नहीं ईश्वर को क्या मंजूर था ?


आप तो परिवार व गाँव के चहेते थे

फिर रब ने आपको हमसे क्यूं छीन लिया ?

हाँ पापा उस दिन सभी की आंखें नम थी हर दिल में गम था।

मुझे आज भी वह दिन याद है,

पापा जब आप जेठ की दुपहरी में

काम से वापस आते थे

उस वक्त आपके चेहरे पे थकान का बादल

छाया रहता था।


पर फिर भी आप किसी से कुछ भी नहीं कहते थे

हाँ आपने तो अपना दायित्व पूरा कर दिया था

पर जब हम भाइयों को अपना दायित्व

पूरा करने की बारी आई आपको खुश रखने की बारी आई

उस वक्त ही आप हमसे बहुत दूर चले गए।

हाँ पापा जो आते हैं उनका जाना निश्चित है

पर आप बेवक्त क्यूं हमसे दूर चले गए ?


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