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Kavi Yash kumar

Tragedy

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Kavi Yash kumar

Tragedy

क्यों जग में उनका नाम नहीं ?

क्यों जग में उनका नाम नहीं ?

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शैतानों को, हैवानों को

जिसने बदल दिया इंसान मे,  

बिगड़े हुओं को सुधारा जिसने

जिसकी तुलना हुयी भगवान से।


मूर्खो को विद्वान बनाया

जिसने जीवन का अर्थ समझाया,

वह गुरु ही है कोई और नहीं

जिसने धरती को ही स्वर्ग बनाया।


ज्ञान का प्रकाश फैलाना

लोगों मे परिवर्तन लाना,

वे करते कोई साधारण काम नहीं

क्यों जग मे उनका नाम नहीं ?


ज्ञान का जिसमे सागर है

जिसने देखे है सपने प्रगति के,

जो रोके हमें गलत राह पर जाने से

वह बचाते है बुरी संगति से।


ज्ञान से हमें बचाया गुरु ने

जिस दलदल मे था संसार फ़सा,

गोबिंद के समान गुरु है

उनके मन मे है सारा ब्रह्माण्ड बसा।


मधुर उनकी वाणी है

वे संत नहीं, वे ज्ञानी है,

एक गुरु बनना आसान नहीं

क्यों जग मे उनका नाम नहीं ?


जिसके शिष्य बने महान विश्व मे

क्यों गुरु उसके अनजान है,

वो जीते है साधारण जीवन

वो गुरु के भेष मे भगवान है।


सदा हमारा भला जो चाहें

वे सख्त है पर कठोर नहीं,

जो मानवता का पाठ पढ़ाये

वह गुरु ही है कोई ओर नहीं।


वे जीने की कला सिखाते हैं

वे आगे बढ़ते जाते हैम,

वे करते कभी विश्राम नहीं

क्यों जग मे उनका नाम नहीं ?


उनसे शांति है संसार मे

उनसे मानव मे मानवता है,

गुरु ने पवित्र किया लोगों के मन को

उनके कण कण मे पवित्रता है।


पहले गुरु ही आते हैं

फिर आते हैं भगवान,

जो गुरु के मार्ग पर चलता है

वह बनता है महान।


जिसने कभी भी अपने ज्ञान पर

शिष्यों के प्रति बलिदान पर,

किया कभी अभिमान नहीं

क्यों जग मे उनका नाम नहीं ? 


विद्या को अपना शस्त्र बनाकर

करते है अज्ञानता का संघार गुरु,

हाथ में लिए मशाल ज्ञान की

मिटाते हैं जीवन से अंधकार गुरु।


उन्हें आचार्य कहो या शिक्षक

उन्हें गुरु कहो या अध्यापक,

उन्हें चिंता हैं अपने शिष्यों की

वे है सृष्टि के शुभचिंतक।


वे उमंग के खिलते नीरज है

वे उत्साह के उगते सूरज है,

उम्मीदों की, ढलती हुई शाम नहीं

क्यों जग में उनका नाम नहीं ?


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