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Kavi Yash kumar

Others

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Kavi Yash kumar

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जब दीप जलेगा

जब दीप जलेगा

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मानव में कोई भेदभाव न होगा,

हृदय में दुःख का घाव न होगा।

निर्धन की छोटी सी कुटिया में भी

धनवानों की धनी दुनिया में भी,

बरसेगी खुशियों की बारिश

होगी पूरी हर एक ख्वाहिश।


फैलेगा समानता का प्रकाश

मन से सारा अंधकार मिटेगा,

जब सत्यता का दीप जलेगा।


दियें सजेंगे हर देहरी पर,

जगमग होगा हर आँगन-घर।

उत्साह से गाएँगे दीप

दिवाली का मोहक गीत,

लक्ष्मी-गणेश पूजे जायेंगे

पूरी होगी सदियों की रीत।


जगमग-जगमग होगी सृष्टि

दीपों से सारा संसार सजेगा,

जब अमन का दीप जलेगा।


शहर दियों से रोशन होगा,

हर ओर दियों का उपवन होगा।

गली गली में होगा उँजियारा

मिट जायेगा सारा अँधियारा,


हर्ष गीत गाती हवा बहेगी

लोग मनाएंगे पर्व सुनेहरा ।

खुशी से हर आँगन-घर मे

दीपों का त्योहार मनेगा,

जब मानवता का दीप जलेगा।


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