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Kavi Yash kumar

Drama

4  

Kavi Yash kumar

Drama

बेटी

बेटी

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है वर्षों से लोगों का कहना

पड़ेगा आधी जिंदगी ढोना,

क्यों चाहे हम बेटी को

बेटी तो एक बोझ है ना।


बेटी को बस जल्द से जल्द

विवाह कर के विदा है करना,

बेटा हैं जीवन का सहारा

बेटी को बस बोझ समझना।


क्यों पाले एक बेटी को

जो पूजे हमे ईश्वर समान,

कर बेटे पर इतना भरोसा

गलती करता हर इंसान।


बेटा है तो खुशियाँ है 

बेटी है तो बस है रोना,

क्यों चाहे हम बेटी को

बेटी तो एक बोझ है ना।


बेटी है तो है गरीबी

पर बेटा तो कमाएगा,

 करेगा सेवा खूब हमारी

खुशिया घर में लाएगा।


दहेज देंगे कहा से जब

हम होंगे इतने गरीब,

जब बेटी होगी घर में तब

दुख मुश्किलें होंगी करीब।


जब घर में होगी बेटी तो

पड़ेगा सुख के साधन खोना,

क्यों चाहे हम बेटी को

बेटी तो एक बोझ है ना।


दहेज कहा से देंगे हम 

जब होगा बेटी का विवाह,

कौन चुनेगा आखिर 

काटों से भरा हुआ राह।


बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ

बस नाम का है यह अभियान,

लड़ना होगा खुद हमें

बचाने को बेटियों का सम्मान।


क्या बेटी है सिर्फ पत्थर

और बेटा है महँगा सोना,

क्यों चाहे हम बेटी को 

बेटी तो एक बोझ है ना।


कर नही रहा मैं बेटों का अपमान

क्योंकि मैं भी तो एक बेटा हूँ,

पर बचाना है बेटियों का जीवन

बस इसीलिए शब्दो को ऐसे समेटा हूँ।


मैं बेटों को बुरा नहीं कहता

पर होते हैं बहुत से बेटे ऐसे,

जिसने पाला-पोसा उसी को

काट लेते हैं आस्तीन के साँप के जैसे।


पहन लो अपने दिल में तुम भी

बेटी के प्यार का गहना,

क्यों चाहे हम बेटी को 

बेटी तो एक बोझ है ना।


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