प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
चुराया मैंने समुन्दर से मुठ्ठीभर अपनापन
आकाश से कुछ उदारता लिये मेरे कुटीर को उश्वास दिया,
रुक रुक कर चौड़ाई माप रही थी पेर तले जमीन
रात पूरा होने तक
ऐसे भी
सोया था रस्ता धुआं धुंआ कोहरे की चपेट में
इन्तेजार में थे राशि नक्षत्र
महक उठा समय
प्रतिध्वनि हो रहा था
पूर्व आकाश से अंधेरा लौट ने का अवसर!