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Maitreyee Kamila

Abstract

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Maitreyee Kamila

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तुम्हारा आना

तुम्हारा आना

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तुम्हरा आना

केनवास के चित्र जैसा

खूब रंगीन

ढूंढ रहा है कहाँ छुपा इतना रंग जीवन में भरने


समय लटका हुआ है

खिड़की के उस तरफ सांझ की लाल गुलमोहर के पास,

रात के कुछ सपने बिखर पड़े पारिजात के फूल के साथ

और कुछ खुशबू फूलो के

काफी है सुनाने को

तुम्हारा आना


मैंने चुराया आकाश से कुछ विस्तारपण

मेरे रफ खाता में भरा कुछ शब्द के रंग

उड़ गया हाथों से

घास पत्तो से चिपका

भीगा ओस के बून्द से

छू लिया चांद की चांदनी


अब चांद और मै

हमारे बीच 

उस ऋतु के तलाश

जो गुम हुआ था

तुम्हारे आने से!



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