एक ऐसी ऋतु तलाश है
एक ऐसी ऋतु तलाश है
एक ऐसी ऋतु की तलाश है मुझे,
जहां ना बदले घास और फूल की कहानी,
दूर से पहाड़ धूसर ना हो,
पानी के जैसा मिटजाए सारे अनबन,
संबंध के डोर से दूर हो सारे उलझन,
अंधविस्वास और कुसंस्कार में सुधार हो,
भेदभाव भुलाकर साझा करना होगा
'हम सब एक है',
रसोइ ठीक न होने पर
तुम रस्ता अलग मत करना,
आंखों में रोशनी कम है कहकर
मेरे कविता के शब्द इधर उधर ना हो,
एक ऐसी ऋतु की तलाश है मुझे
समय थोड़ा रुक जाए
सुनसान दोपहर को गुलमोहर के छाओं में
पतझड़ अभी बाकी है
ये सुनाए,
कोहरे में चलते चलते
निपट जाए ओस के बूंदे
ओर कुछ पारिजात के फूल बिखर जाए
स्याही कागज़ पर नए शब्द लिए।