प्रेम क्या है? प्रेम है पारिजात, खिल कर न मुरझाए कभी। प्रेम क्या है? प्रेम है पारिजात, खिल कर न मुरझाए कभी।
ओर कुछ पारिजात के फूल बिखर जाए स्याही कागज़ पर नए शब्द लिए। ओर कुछ पारिजात के फूल बिखर जाए स्याही कागज़ पर नए शब्द लिए।
परमात्मा के दर्शन की आस लिए बैठी एक भक्तन, प्रियतम के मन के भाव इस कविता में कहे गये है... परमात्मा के दर्शन की आस लिए बैठी एक भक्तन, प्रियतम के मन के भाव इस कविता में कहे...
अत्यंत आकर्षक अद्भुत है तेरा रूप, तेरा परिचय मेरे लिए है सदा अपरूप, अत्यंत आकर्षक अद्भुत है तेरा रूप, तेरा परिचय मेरे लिए है सदा अपरूप,
रात में झरने लगा है हरसिंगार यादें ताजी हो गई फिर एक बार! रात में झरने लगा है हरसिंगार यादें ताजी हो गई फिर एक बार!