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GOPAL RAM DANSENA

Abstract

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GOPAL RAM DANSENA

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अंगद के पांव

अंगद के पांव

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कभी अंगद के पांव

अधर्म के सभा में जमे थे

धर्म के मजबूत भार लेकर

आज अधर्म उसको

सर पर ढोता


रख देता है अटल

सत्य को प्रदर्शित करने

हर बार हर दरबार

जब भी बात चलती है

काम बनाने की


किसी के विस्वास पाने की

निश्चिन्त हो रख देता है

ये अंगद का पांव

और दोनों खुश होते हैं

अधर्मी भी धर्मी भी


अधर्मी सोचते देखो अपना दांव

धर्मी के आगे रख दिया अंगद का पांव

धर्मी सोचता अब अपने संगत आया है

अधर्मी अबकी अंगद पांव लाया है।


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