बेमिसाल ताजमहल
बेमिसाल ताजमहल
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ए....ताज तेरे कदमों में आकर
हर मोहब्बत परवान चढ़ा
कितनों की मोहब्बत को कुचल के
कौन जाने ??? आज भी तू खड़ा
जिन्होंने खून पसीने से तुझे तराशा
ख़ून का प्यासा बन गया उनका
तेरे वो संगमरमर के चट्टानों पर
भले ही वो लाल घब्बे आज गायब हो
तू तो चूर है तेरी नक्काशी के गुरुर मैं
उन चीखती प्यासी रुहों का क्या ???
मोहब्बत की मिशाल बनने चला
पर हजारों मोहब्बत तेरे कुर्बान चढ़ा
गुमनामी में वे नाम दफना गऐ
इंशा अल्लाह जो तेरी खूबसूरती को निखार कर लाये
क्या खूब थीं वो माशूकायें
दम तोड़े अपनी आशिक के इंतजार में
कैसी अजीब हवस है ये साहिब !!
सूली पर चढ़ गए हजारों महबूब ।।।।।