बेवफ़ाई
बेवफ़ाई
बहुत ही शिद्दत से संजोए रखा था
अनजाने में दिल का दर्द उभर आया
अचानक से खामोशियां बोल पड़ें
एक उफ़ान सा दिल में उठा
यकायक कोहराम मच गया
कइयों को घायल कर चला
समन्दर से भी गहरा जज़्बात
सब कुछ उस में समा जाती हैं
पर सुनामी भी छुपा तसव्वुर में क्यों नहीं था
वफ़ा तो इतनी थी कि
हर बेवफाई को निगल ली
एक दिन सब्र का बांध भी टूटना था
बेख्याली में धुत थे अपने ही दुनिया में
चिंगारी को हवा देते रहे
फैसला हर गुस्ताख़ी का होना ही था
उजड़े चमन में
अब बाहर कहां ??
यहां वहां सिर्फ और सिर्फ ख़ाक के ढेर।