हम मिडिल क्लास लोग हैं साहब!
हम मिडिल क्लास लोग हैं साहब!
हम मिडिल क्लास लोग हैं साहब!
जिंदगी जीते नहीं बसर करते हैं।
करते हैं खून अपने ही सपनो का
और घोट देते हैं गला अपनी ही
ख्वाहिशों का
यहां मिलती हैं खुशियां खैरात में
जिसे संभाल कर सालों गुजर करते हैं
हम मिडिल क्लास लोग हैं साहब!
जिंदगी जीते नहीं,बसर करते हैं.........
ऐसा नहीं कि हम भागते हैं मेहनत से
नहीं आंख चुराते हैं कभी कठिनाइयों से
लेकिन ये जो ठप्पा लगा है न माथे पे
उच्चवर्ण,सवर्ण, जेनरल अनारक्षित का
ये खा जाती हैं हमारी योग्यताओं को
छोटी सी धाराओं को भी बड़ी लहर करते हैं
हम मिडिल क्लास लोग हैं साहब!
जिंदगी जीते नहीं,गुजर करते हैं..........
स्टेट्स की खातिर फैला भी नही सकते हथेली कभी
और न ही बता सकते किसी को अपनी तकलीफें
क्योंकि ताने सुनने संस्कार नहीं होते हमारे
और यदि कभी मिल जाते हैं उलाहने तो
किसी रोज चुपके से गले के नीचे जहर करते हैं
हम मिडिल क्लास लोग हैं साहब!
जिंदगी जीते नहीं,बसर करते हैं.........
