कभी आइए न हमरा बिहार में
कभी आइए न हमरा बिहार में
उत्तर पूर्वी भाग में स्थित
बौद्ध के विहार में
धन्य जन्म हो जायेगा
कभी आइए न बिहार में।।
गंगा,गंडक,बागमती,कोसी
घाघरा,महानंदा सोन के मोती
मजा प्रकृति देती सबको
मौनसुनी बहार में
कभी आइए न हमरा बिहार में।।
हिंदी उर्दू भोजपुरी बोली
मैथिल मधुर मीठ रस घोली
पटना गया नालंदा,चंपा
सन शहर न बा संसार में
कभी आइए न हमरा बिहार में।।
मधुबनी,मंजूषा,छठ, विषहरी
शंकर जहां पे लीपी देहरी
एक बेर तो नहाइये न भाई
ककोलत की जलधार में
कभी आइए न बिहार में।।
साड़ी टिकुली बिंदी चूड़ी
धोती गंजी गमछा पगड़ी
रूप अनुपम लागे सबके
देहाती संस्कार में
कभी आइए न हमरा बिहार में।।
कठिन प्रिश्रम पूंजी हमारी
साहस के बानी विस्तार
राजेंद्र दिनकर गांधी जी के
हम्नि बनल पहिल हुंकार
कौनो कसर नहीं रखेंगे
हम तुमरा सत्कार में
कभी आइए न हमरा बिहार में।।
कट्टा डंडा भाला बरछी
सब पुरनका बात छै
हिंदू मुस्लिम साथ रहे सब
जैसे दिन और रात छै
स्वरा सुशासन बाबू जबसे
आए हैं सरकार में
कभी आइए न हमरा बिहार में।