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Johnny Walker

Tragedy

4  

Johnny Walker

Tragedy

नारी!!!

नारी!!!

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सत्य ये बेहद तिक्त सा है,

बिन नारी संसार रिक्त सा है...


"विभिन्न से किरदार अदा है करती वो,

क्यों घुट-घुट के खुद में है मरती वो,

अपनों के खातिर सबसे है भिड़ वो जाती,

फिर क्यों अपने लिए लड़ने से है डरती वो..."


बेटा होगा या होगी लड़की क्यों सबको ये जानना है,

क्यों कोख से ही बना खतरा उसपे जान का है,

क्यों मिलती नन्ही परियां कूड़ों के ढेर में अक्सर,

ये कुकर्म मानव रूप में मानव रूपी शैतान का है...

कोख की चुनौती कर पार अब खतरा नये किस्म का है,

जान से बढ़कर खतरा अब आबरू और जिस्म का है,

बेहद तुच्छ सी बनकर रह गयी है कीमत इनकी,

जो कर लें पार ये अर्चने उनके लिए ये सब तिलिस्म सा है...


ज़िन्दगी के नाम पर दिया सिर्फ इन्हें धोखा जाता है,

क़ामयाबी की दौड़ में आगे बढ़ने से इन्हें रोका जाता है,

कीमत तो इन्हें हर जगह हर हाल में खैर है ही चुकानी,

आग में सिर्फ दहेज़ के कारण इन्हें झोंका जाता है...


सब यातनाओं के बाद भी इनके आगे टिका कौन है,

क्या भूल गए की दुर्गा शक्ति और अम्बिका कौन है,

पापों के भरते घड़े उलटी गिनती है पापीयों की,

घड़े भरते ही भूचाल संग टूटेगा ये वो मौन है।



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