फर्क है !!!
फर्क है !!!
तू अपने पापा की दुलारी मैं अपने बाप का नाकारा: तेरे मेरे हालात में फर्क हैं,
तू आने वाले कल पे ध्यान देती मैं अपने आज से तंग हूँ: तेरी मेरी सोच और ख़यालात में फर्क है,
तू महलों की परी मैं बेहद साधारण सा लड़का: तेरी मेरी हयात में फर्क है,
तू खर्चने वाली दिलदार मैं पैसे बचाने वाला कंजूस: तेरी मेरी औकात में फर्क है,
तेरे पैर न पड़ते ज़मीन पे मैं बस में धक्के खाता हूँ: तेरी मेरी बिसात में फर्क है,
तू राज़ी है मेरी हो के रहने को इन सब खामियों के बाद भी,
पर फिर भी तेरा मेरा एक होना बेहद मुश्किल है क्योंकि : तेरी मेरी ज़ात में फर्क है...

