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Anita Sharma

Romance Tragedy

4  

Anita Sharma

Romance Tragedy

गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण

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नीले गगन में उजकते,

विशाल तारे से चमकते;

इस ब्रह्माण्ड में….

सिर्फ तुम थे मौजूद,

एक ब्लैक होल की मानिंद!

अंदर से...ठंडे,

बाहर से…गर्म,

आँखे भ्रम में डूबी

पा गयी अंधत्व;


क्षीण होती शक्ति….

आहत भी है आसक्ति!

अंततः रहस्य का

पर्दाफाश हुआ;

तुम्हारे गुरुत्वाकर्षण

भरे आगोश ने…!

निगल लिया मेरी आत्मा को,

मेरा मुझमें अब कुछ नहीं;

प्रेम का पटाक्षेप हुआ


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