गुरुत्वाकर्षण
गुरुत्वाकर्षण
नीले गगन में उजकते,
विशाल तारे से चमकते;
इस ब्रह्माण्ड में….
सिर्फ तुम थे मौजूद,
एक ब्लैक होल की मानिंद!
अंदर से...ठंडे,
बाहर से…गर्म,
आँखे भ्रम में डूबी
पा गयी अंधत्व;
क्षीण होती शक्ति….
आहत भी है आसक्ति!
अंततः रहस्य का
पर्दाफाश हुआ;
तुम्हारे गुरुत्वाकर्षण
भरे आगोश ने…!
निगल लिया मेरी आत्मा को,
मेरा मुझमें अब कुछ नहीं;
प्रेम का पटाक्षेप हुआ

