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Indraj Aamath

Abstract Tragedy Inspirational

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Indraj Aamath

Abstract Tragedy Inspirational

हां, ये ये सच है

हां, ये ये सच है

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हां ये सच है कि

मैने लाइफ को कभी

इतना सीरियस नही लिया

चल रहा है 

गुजर रहा है

जब होगा तब 

देखा जायेगा


कभी तनाव आया तो

मिठाई का डिब्बा लिया

पूरा ही खत्म किया

कभी गुस्सा आया तो

रिश्ते ही खत्म हुए

कुछ पल बाद फिर वही

चल रहा है


गुजर रहा है

जब होगा तब

देखा जायेगा

बॉस गुस्सा है तो सोचा

 गुस्सा ही तो है

कान बंद किए

आंख बंद किए

फिर शून्य में खो गया


जंगल में खोने का

एक ख्वाब था मेरा

पहाड़ों पर जाकर

जोर जोर से चिल्लाऊं

बहती सड़क पर

एक रात राहगीर

बनके मैं सो जाऊं


मन में कई 

ख्वाहिशों को 

दफन किया हूं मैं

कभी टूटने का दर्द

कभी बिछड़ने का दर्द

कभी फेलियर का दर्द

कभी ना पाने का दर्द


ये दर्द ही तो है

जो मुझे मजबूत

बनाते आए हैं

मुझे नहीं करना 

तुम्हारी आजादी का हनन

तुम स्वतंत्र हो स्वच्छंद हो

अपना विवेक रखते हो


कुछ सपने हैं

जो सोचे होंगे तुमने

नही टोकेगा नही रोकेगा

बस तुम खुद मत रखना

मैं शांत हूं खुश हूं

थोड़ा गंभीर हूं


हाँ अधीर भी हूं

ऐसा नहीं की मैं

सब समझता नही हूं

ये वक्त तेरा होगा

कल शायद मेरा होगा।


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