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Shravani Balasaheb Sul

Romance Tragedy

4  

Shravani Balasaheb Sul

Romance Tragedy

शायद

शायद

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राहें मुख्तलिफ हैं हमारी

शायद कल ठिकाना एक हो जाए

तुमसे दुबारा मिलने का

बहाना एक हो जाए


जो तकलीफ़ हैं आज

शायद कल वह मरहम हो जाए

ठुकराया जिसने आज

शायद कल वह हमदम हो जाए


आज कड़ी धूप हैं मगर

शायद कल कोई बरसात हो जाए

जो तुझे भिगाए मुझे भी भीगा दे

वह ऐसी कोई सौगात हो जाए


चांद हो तू मैं अकेली चांदनी

ऐसा कोई आसमां हो जाए

मैं तुझमें चमकू तू मुझमें चमके

ऐसा कोई समा हो जाए


जो दिल की तड़प हैं आज

शायद कल वह राहत हो जाए

मेरी तरह तुझे भी ले डूबे

तेरी बेरुखी वह चाहत हो जाए


तेरी नफरत की चिंगारी

शायद कोई शबनम हो जाए

कल तेरी थोड़ी मेरी थोड़ी

आंखें यू ही नम हो जाए


जो फकत तसव्वुर हैं आज

वह तस्वीर कल की हकीकत हो जाए

जो मेरे नाम लिख दे तू

कल तक की कहानी वह खत हो जाए


तू मेरी... मैं तेरी

हम एकादुसरे की क़ीमत हो जाए

जो सिर्फ़ मेरे पास हो

तेरा दिल वह गनीमत हो जाए


तोहमत न तुझपे कि तूने मिटाया

पर शायद मुझपे वह सितम हो

फिर से कैद होके निगाहों में तेरी

वजूद मेरा खतम हो जाए


तू मुझमें रोशन मैं तुझमें

रोशन ऐसी कोई रात हो जाए

जो नजर कह दे और दिल सुन ले

शायद फिर से वह बात हो जाए


तू मोहब्बत की रोशन किरण बन के आए

तो ज़िंदगी में नया सवेरा हो जाए

साए में फिर से उस रोशनी के

मैं तेरी हो जाऊँ तू मेरा हो जाए।


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