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Aishani Aishani

Tragedy

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Aishani Aishani

Tragedy

चुटकी भर सिंदूर [विवाह ]

चुटकी भर सिंदूर [विवाह ]

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तुमने चुटकी भर सिंदूर क्या दिया

क्या समझा तुमने

तुम्हें कहीं भी कुछ भी 

कहने का अधिकार मिल गया..? 

तुम भूल गये कि 

तुम्हें तुम्हारे अपने माँ बाप ने

नीलाम किया है 

दहेज के बाज़ार में...

मुँह माँगी कीमत पर...! 

फिर भी

हमने कभी गुलामों सा नहीं रखा

ना गुलाम सादृश्य आचरण किया संग तुम्हारे

क्यूँकि.. 

इतना कुछ होने के बाद भी

हम अपना स्वभाव नहीं भूले

ना ही अपने संस्कार विस्मृत कर सकें

त्याग ना सके अपने मूल स्वरूप को

और तुमने... 

गुलाम होने के बावजूद

स्वयं को हमारा मालिक समझ लिया

तुम्हारा अहम् तुम पर हावी हो गया. ..? 

तुम भूल गये कि 

हम भी इंसान है तुम जैसे

हमारे भी कुछ अरमान हैं

मुझमें भी भावनाओं का

अंकुर प्रस्फुटित होता है

हमने भी कुछ ख़्वाब पाले हैं

जिसको तुम्हारे जैसे हैवान ने

अपने अहंकार के पाँव तले कुचल दिया..! 

कुल की रक्षा का दायित्त्व हमारे कंधे पर 

और संपत्ति का स्वामित्व गुलाम के हाथों में

जो कल को अपनी ही तरह

अपने औलाद को भी

कभी दहेज

तो कभी पढ़ाई के खर्च के नाम पर 

नीलाम करेगा और बेवजह

अपने किये पर ही प्रफुल्लित होगा..! 

हाय री..! 

फिर कोई बाप

अपनी बेटी को

उसकी सुखी जीवन की कामना के लिए

उसकी माँग हमेशा सजी रहे

एक गुलाम खरीद कर देगा

और फिर... ! ¡


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