Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Aishani Aishani

Tragedy

4  

Aishani Aishani

Tragedy

चुटकी भर सिंदूर [विवाह ]

चुटकी भर सिंदूर [विवाह ]

1 min
300


तुमने चुटकी भर सिंदूर क्या दिया

क्या समझा तुमने

तुम्हें कहीं भी कुछ भी 

कहने का अधिकार मिल गया..? 

तुम भूल गये कि 

तुम्हें तुम्हारे अपने माँ बाप ने

नीलाम किया है 

दहेज के बाज़ार में...

मुँह माँगी कीमत पर...! 

फिर भी

हमने कभी गुलामों सा नहीं रखा

ना गुलाम सादृश्य आचरण किया संग तुम्हारे

क्यूँकि.. 

इतना कुछ होने के बाद भी

हम अपना स्वभाव नहीं भूले

ना ही अपने संस्कार विस्मृत कर सकें

त्याग ना सके अपने मूल स्वरूप को

और तुमने... 

गुलाम होने के बावजूद

स्वयं को हमारा मालिक समझ लिया

तुम्हारा अहम् तुम पर हावी हो गया. ..? 

तुम भूल गये कि 

हम भी इंसान है तुम जैसे

हमारे भी कुछ अरमान हैं

मुझमें भी भावनाओं का

अंकुर प्रस्फुटित होता है

हमने भी कुछ ख़्वाब पाले हैं

जिसको तुम्हारे जैसे हैवान ने

अपने अहंकार के पाँव तले कुचल दिया..! 

कुल की रक्षा का दायित्त्व हमारे कंधे पर 

और संपत्ति का स्वामित्व गुलाम के हाथों में

जो कल को अपनी ही तरह

अपने औलाद को भी

कभी दहेज

तो कभी पढ़ाई के खर्च के नाम पर 

नीलाम करेगा और बेवजह

अपने किये पर ही प्रफुल्लित होगा..! 

हाय री..! 

फिर कोई बाप

अपनी बेटी को

उसकी सुखी जीवन की कामना के लिए

उसकी माँग हमेशा सजी रहे

एक गुलाम खरीद कर देगा

और फिर... ! ¡


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy