संघर्ष
संघर्ष
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वो संघर्ष ही क्या,
उस युवा का,
जिसने ज्वाला प्रज्वलित,
न की हो,
वो प्रेम ही क्या,
जिसने किताबों से किया हो,
वह दहकती लौ क्या,
जिससे स्वप्न पूरे न हो,
वो रास्ता ही क्या,
जिसमे कठिनाई न हो,
वो लहर ही क्या,
जिसने अपनी छाप ,
न छोड़ी हो,
वो तीर ही क्या,
जिसने वेध न क्या हो,
उस उपलब्धि का क्या मजा
जिसमें चुभन न हो,
वो नौका कैसी जिसने,
नदी पार न की हो,
ऐसे जीवन क्या जीना,
जिसमे संघर्ष ही न हो।