अंदाजा नहीं मुझे
अंदाजा नहीं मुझे
अंदाजा नहीं मुझे,
मेरी ताकत का,
हो भी कैसे,
क्योंकि मैं लड़की हूं,
जिसे न बोलने की आजादी,
न स्वतंत्र रहने का अधिकार,
कभी दहेज के लिए प्रताड़ित,
तो कभी बलात्कार का शिकार,
शादी हो तो बेटा हो,
वरना भ्रूण हत्या का शिकार,
बस यही है अधिकार,
आज है महिला दिवस,
देंगे लोग आज सम्मान,
पर उसके बाद क्या,
देंगे महिलाओं को अधिकार,
जानती हूँ बदल चुका है संसार,
है महिलाओं को कुछ अधिकार,
क्या इतना है पर्याप्त,
लड़ना होगा अपने हक के लिए,
तभी तो बदलेगा संसार,
यही आज हर महिला की पुकार ।