स्वयं से प्यार चाहती हैं
स्वयं से प्यार चाहती हैं
नदी के किनारे,
बैठना चाहती हूं,
स्वयं को महसूस,
करना चाहती हूं
खुद को गलेेे से,
लगाकर रोना चाहती हूं,
कहां गुम हो गई,
दुनिया की भीड़ में,
इस भीड़ से,
निकलना चाहती हूं,
बहुत हो गई ,
दूसरों से बातें,
पर अब ये बातें,
खुद से करना चाहती हूं,
स्वयंं से प्यार चाहती हूं,
नदी के किनारे बैठकर,
पैरो से पानी में,
छपछप करना चाहती हूं,
उस पानी की गुनगुनाहट,
अपने कानोंं से,
सुनना चाहती हूं,
बस एक बार,
नदी के किनारे,
बैैठना चाहती हूं।