होली की उमंग
होली की उमंग
प्यार खोजने निकले हैं
नफरत के बाजार में
चलो ढूँढ लाएँ सौहार्द
होली के त्योहार में
किसी के आँसू पोंछ सकें और
खिलखिलाएँ बच्चों के संग
बोझ न हो कोई सीने पर
सार्थक तभी होली की उमंग
शान, दिखावे, दंभ, नफरतें
कहाँ खो गया सहज इंसान
और नहीं कुछ माँगें ईश्वर
हमें बना दो महज इंसान
हुल्लड़ में डूबे रंग भरे बदन
फाग, गायिकी, पिचकारी, भंग
सचमुच मिला दे दिलों को होली
बाँटे माधुर्य पकवानों के संग।
