अप्रतिम निखार
अप्रतिम निखार

1 min

605
उसके ललाट पर जलता सूरज
स्निग्ध स्मित मदमस्त बयार
रिमझिम फुहारों सी छेड़ी जो तान
छिड़े वीणा के तार, मन गाए मल्हार
नटखट चाँदनी में नहाया बदन
फूले जूही और बेला हजारों हजार
कानों में ये क्या कह दिया पिया
शरमाई चितवन पे अप्रतिम निखार