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Agrawal Shruti

Inspirational

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Agrawal Shruti

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आज की नारी

आज की नारी

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आज की नारी

बाँध दुपट्टे में इक गाँठ

आँखों में निश्चय की आँच

समर क्षेत्र में कूद पड़ी है


वध करेगी दुश्मन छाँट-छाँट

अभिसारिका के अर्थ बदल गए

नारी के सभी विमर्श बदल गए

रूप-यौवन से इतर बहुत कुछ

सुन्दरता के संदर्भ बदल गए


घर बाहर भूमिका बदल गई

जिजीविषा की अग्नि धधक गई

कभी समेट ना पाई उसको

पोथी लिख-लिख कलम थक गई


पर अर्जित उत्कर्षों के बीच

पिछले कई-कई वर्षों के बीच

ममता समर्पण माधुर्य वही है

हर उद्यम संघर्षों के  बीच।


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