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Agrawal Shruti

Inspirational

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Agrawal Shruti

Inspirational

कुसुमी

कुसुमी

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डुगडुगी ले किस्सागो आया

लेकर नई कहानी

बरगद के नीचे आ बैठो

छोटे बड़े सब प्राणी


दो जने बढ़े थे साथ साथ

थी बड़ी पुरानी यारी

बड़ा नाम इज़्ज़त थी उनकी

राघव और त्रिपुरारी


ब्याह दिया राघव ने बेटा

पूरी की घर भर की चाहत

नन्ही कुसुमी बहू बन आई

बूढ़ी माँ ने पाई राहत


रुनुक झुनुक बजती थी पायल

नाचती फिरती कुसुमी की

काम काज सब वही संभाले

घर की धुरी अब कुसुमी थी


त्रिपुरारी की बेटी संगीता

काम करे ना काज करे

दिन भर खेले पढ़े किताबें

और माँ बाप पर राज करे


सौ बात कहे सब संगीता को

कामचोर और उधमी है

सबसे अच्छी सबसे सच्ची

लाखों में एक बस कुसुमी है


घूमा फिर ये काल का पहिया

बिछुड़े सभी पुराने लोग

नए नए रिश्ते नाते बन गए

फिर एक दिन ऐसा बना संजोग


बूढ़ी बीमार कोई आई थी

डाक्टर संगीता के घर

अरे, हमारी कुसुमी थी ये

सब काँप उठे हालत से डर


पाँच हुए थे बच्चे उसके

दो ही बचे वो भी कमजोर

टूटा थका शरीर बीमारी

पति ने छोड़ दिया बरजोर


बहते आँसू रुक नहीं पाए

क्यों जीवन बर्बाद हो गया

श्राप पीढ़ियाँ भुगतेंगी ये

सबको ये अंदाज़ हो गया


त्रिपुरारी ने कसम उठाई

बाल विवाह अब और नहीं

डुगडुगी उठाई कही कहानी

कुसुमी सा जीवन और नहीं


हर गाँव शहर जाए संदेसा

कुसुमी की दुःखद कहानी

कसम उठाओ तय कर लो अब

सब छोटे बड़े प्राणी


पहले शिक्षा आत्मनिर्भरता

तब बच्चों की शादी

उनको जीवन और ख़ुशियाँ देना

मत देना बर्बादी ।


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