मेरी हंसी
मेरी हंसी
हंसी आजकल रूठी है,मुझसे
खुशी आजकल रूठी है,मुझसे
चँद अल्फाज सच के क्या बोले,
खुद की तस्वीर रूठी है,मुझसे
जिस किसी के पास में जाता हूँ,
पर निंद्रा के बोल ही में पाता हूँ,
अपनों की भलाई छूटी है,मुझसे
अपनों की बड़ाई टूटी है,मुझसे
सच मे आज इतना भार हो गया,
लोगों का जीवन उधार हो गया,
तम-तरंगे फूटी हुई है,हर घट से
दीये ज्योति लूटी हुई है,हर घट से
भले हंसी आजकल रूठी है,मुझसे
पर तूफां में चराग जलाने है,खुद के
शूलों से जो दोस्ती है,मेरी बरसों से
गुलाब बनकर महकेगा तू हर गम से
वो ही उदास लबों को हंसी देता है,
जिसकी ख़ुदी से दोस्ती है,खुद से
वो ही दुनिया को फतेह कर पाता है,
जिसे हंसने की लत है,कहीं जन्मों से
वो हर दर्दोगम में मुस्कुराता रहता है,
जिसकी चंदन सी आदत है,रग-रग से
वो टूट सकता है, पर झुक सकता नही,
टूट कर भी वो खुश्बु देता है,सांसों से।
