गुरु
गुरु
करता हूँ मैं बंदगी,
हाथ जोड़ कर आज।
सदा रहे गुरु चरणों में,
हम सब का ध्यान।
गुरु ब्रह्म स्वरुप है,
गुरु ही विष्णु रुप ।
गुरु में ही नजर आए,
परमेश्वर स्वरुप ।
गुरु ज्ञान की खान हैं,
गुरु ज्ञान की ज्योत।
गुरु में ही समाया है,
दिव्य प्रकाश का पुंज।
गुरु बिना अंधकार हैं,
गुरु बिना कहाँ ज्ञान।
गुरु से ही मिलता हमे ,
आत्म-तत्व का ज्ञान।