"युग-पुरुष की आरती"
"युग-पुरुष की आरती"
माँ भारती निज कोख के, दैदीप्यमान पार्थ की
शुभ आरती उतारती, स्वयंप्रभा सुभारती
गंभीर चित्त, राष्ट्रमित्र, राजतंत्र-सारथी
सुनीति-योग, राष्ट्रधर्म, राज-हित के पारखी
माँ भारती निज कोख के, दैदीप्यमान पार्थ की
शुभ आरती उतारती, स्वयंप्रभा सुभारती
प्रबल अधिक, अटल पथिक, प्रतिमूर्ति निः स्वार्थ की
ललाट, शौर्य, गिरि समक्ष, हर दृष्टि है निहारती
माँ भारती निज कोख के दैदीप्यमान पार्थ की
शुभ आरती उतारती, स्वयंप्रभा सुभारती
कमल-कंठ, कर-कमल, माँ शारदा सँवारती
युग पुरुष के पाँव आज, श्रृष्टि है पखारती
माँ भारती निज कोख के दैदीप्यमान पार्थ की
शुभ आरती उतारती, स्वयंप्रभा सुभारती
