कमल-कंठ, कर-कमल, माँ शारदा सँवारती युग पुरुष के पाँव आज, श्रृष्टि है पखारती! कमल-कंठ, कर-कमल, माँ शारदा सँवारती युग पुरुष के पाँव आज, श्रृष्टि है पखारती!
यह कविता भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी के जीवन पर आधारित है। यह कविता भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी के जीवन पर आधारित है।
मोहनदास करमचंद गांधी।। तब आई जग में अहिंसा परमो धर्म की आंधी।। मोहनदास करमचंद गांधी।। तब आई जग में अहिंसा परमो धर्म की आंधी।।
परिवर्तन स्वीकार करो, बदलो अपने आप को। परिवर्तन स्वीकार करो, बदलो अपने आप को।
युगपुरुष थे इस धरा पर राम दीन के पालक । धर्म हित में पापियों के वही थे दण्ड दायक ।। युगपुरुष थे इस धरा पर राम दीन के पालक । धर्म हित में पापियों के वही थे दण्ड ...