STORYMIRROR

निशान्त मिश्र

Abstract Action Inspirational

4  

निशान्त मिश्र

Abstract Action Inspirational

मृत्युजीत

मृत्युजीत

1 min
313

गेरूए न वस्त्र हैं, नहीं सजे शिखा तिलक

ज्ञान के विधान में वो कौन आसमान है

राज धर्म निर्वहन को, शीश दान की ललक

क्षत्रिय नहीं है, किन्तु कौन सा वो राम है!


व्रण क्रयण/शांति दान, प्राण का परिक्रयण 

है धनिक नहीं, दधीचि तुल्य जिसका मान है

चर्म - प्रीति से विरत, निरत स्वकर्म ध्येय में

केवट सम सेवाभिरत, किसका पुण्य गान है!


स्वर्ण हार बन के जो सजा हुआ है धाम इस

द्वार मृत्यु के खड़ा है, मृत्यु पाश को लिए

राम जन्मभूमि, भूमि, जिसकी जानकी सुता

ऐसी भूमि का वो लाल, कौन हनुमान है!


प्राण के प्रयाण हेतु, पुलकित प्रकल्प आज

वायु वेग सा रथी, ये कौन गतिमान है

कौन है प्रलय का नाद, अग्नि दुंदुभि लिए

शीश गिरि अधीश का, भू का स्वाभिमान है!


मातृ द्वय आशीष लब्ध, रण का है पुष्प जो

एक गर्भ जन्मता है, दूजी में शयन हेतु

मृत्यु - मृत्यु थाप पर, जीवन मृदंग सेतु

मृत्युजीत बनकर वो रण में अधिमान है!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract