सुख भरी बसन्त बहार
सुख भरी बसन्त बहार
बीत गया जो वक्त कभी लौटकर वो ना आएगा
रेत की तरह वो तुम्हारे हाथों से फिसल जाएगा
मौका जो भी मिल जाए करो उसका इस्तेमाल
मंजिल की ओर तेज करो अब तो अपनी चाल
चलते ही चलो लेकर तुम परम शक्ति का सहारा
मिट जाएगा पथ से विघ्नों का घनघोर अंधियारा
छोड़ो आलस अलबेलापन ना करो कोई बहाना
फुर्तीले होकर पाओ अपनी मंजिल का ठिकाना
टूट जाएगी तुम्हारे आगे से विघ्नों की हर दीवार
चारों और नजर आएगी सुख भरी बसन्त बहार!