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Neena Ghai

Inspirational

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Neena Ghai

Inspirational

मिलें हैं किसी सबब से , दो घड़ी बैठ ऐ मुसफिरे जहान

मिलें हैं किसी सबब से , दो घड़ी बैठ ऐ मुसफिरे जहान

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मिलें हैं किसी सबब से , दो घड़ी बैठ ऐ मुसफिरे जहान

मुस्करा के कुछ अपनी कह ,कुछ मेरी सुन

यह जग जिंदा लोगों का मेला है

क्यूंकि वजह न हो तो अक्सर लोग छोड़ जातें हैं

यह भी दुनिया का एक दस्तूर है

न तूँ किसी का , न कोई यहाँ तेरा है

यही हक़ीकत है तू जान ले

जीता है तू जिन के लिए

मरता है तू हरदम जिनके वास्ते

मरने के बाद कोई तेरे साथ न जायेगा

हर करम का भार तू अकेला ही चुकाएगा

किस बात की है अकड़ , जिस रुतबे का गरूर है

यह तो सांसो का खेला है

इस जहाँ में , उस जहाँ में सिर्फ एक सांस का ही तो फासला है 

बुलावा जब उस जहाँ से आयेगा

तेरा कोई भी अपना ही तुझे एक घड़ी न रख पायेगा

फिर रुतबा यह तेरा ख़ाक हो जायेगा

फिर नाम भी तेरा एक लाश से ज़्यादा कुछ और न कहलाएगा

रखे रह जायेंगे तेरे शालें दोशाले पहन कर एक कफ़न ही तू जायेगा

जिस सुंदर सलोनी मूरत का करता अभिमान तू 

अपने पाँव पर भी चलना तब मुहाल हो जायेगा

यह हक़ीकत है न तूँ किसी का न कोई यहाँ तेरा है

मिलें है सबब से तो दो घड़ी बैठ ऐ मुसफिरे जहान

मुस्करा के कुछ अपनी कह , कुछ मेरी सुन l


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