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Neena Ghai

Tragedy

4.7  

Neena Ghai

Tragedy

सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ

सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ

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सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ 

सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ जिया की ये बतियाँ

समझ न आए मोये, कैसे तोये बताऊँ

हाँ जिया की ये बतियाँ

लाड़ लड़ाये मोये बहुतेरे न जाने फिर,

काहे बाबुल मों को दे दीनों परदेस

हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।


उढ़वाह कोरी चुनरिया, भेज दीनों परदेस

चल परी अंजान डगरिया,

न कोई संगी न कोई साथी

आ पहुँची या नगरिया,

हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।


डगर – डगर, नगर – नगर, घूमत- घूमत,

सोचन जो लागी, अब कित कूँ जाऊँ

मोये मिल गई इक छबीली नार, अपनों नाम माया थी बतियाती

प्रेम भरे नैनन सो मोको देखत हर पल थी मोको लुभाती

हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।


माया कहत मोये, आजा दिखलाऊँ तोये

ये मनोहारिन नगरिया,

पकर माया मोरी चूनर का छोर,

चल परी दिखावन ये सुंदर नगरिया

हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।   

 

बाबुल उढ़वाह मोये, कोरी चुनरिया

भेज दीनों मोको परदेस, लीनी न कोई खबरिया

का कहूँ मा, कोसे कहूँ सखी री, मोरी हो गई मैली चुनरिया

हाय ! लोचन झुर-झुर हो गई कारी,

इस जग को देखा मोय ने झाड़-विछोड़

बाबुल बिन कोई नाहिं, माया मों काया भई, बिखरी सूरत बहोड़

हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।


ओढ़ कोरी चुनरिया, मो तो जग देखन कूँ आई

जग सरवर, भेद न पायो अब मोये बाबुल याद सतायो

मैली चुनरिया लई, सखी री का से कहूँ, अब कूँ मा जाऊँ

न भयो मोये बाबुल अंगना, न भायो परदेस

हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।


जिया, झाड़-बिछोड़, बहुतेरे, झुर-झुर, भयो,

भायो, बिखरी, सरवर, भेद, कारी।


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