सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ
सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ
सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ
सुन सखी री, आ तोये सुनाऊँ जिया की ये बतियाँ
समझ न आए मोये, कैसे तोये बताऊँ
हाँ जिया की ये बतियाँ
लाड़ लड़ाये मोये बहुतेरे न जाने फिर,
काहे बाबुल मों को दे दीनों परदेस
हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।
उढ़वाह कोरी चुनरिया, भेज दीनों परदेस
चल परी अंजान डगरिया,
न कोई संगी न कोई साथी
आ पहुँची या नगरिया,
हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।
डगर – डगर, नगर – नगर, घूमत- घूमत,
सोचन जो लागी, अब कित कूँ जाऊँ
मोये मिल गई इक छबीली नार, अपनों नाम माया थी बतियाती
प्रेम भरे नैनन सो मोको देखत हर पल थी मोको लुभाती
हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।
माया कहत मोये, आजा दिखलाऊँ तोये
ये मनोहारिन नगरिया,
पकर माया मोरी चूनर का छोर,
चल परी दिखावन ये सुंदर नगरिया
हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।
बाबुल उढ़वाह मोये, कोरी चुनरिया
भेज दीनों मोको परदेस, लीनी न कोई खबरिया
का कहूँ मा, कोसे कहूँ सखी री, मोरी हो गई मैली चुनरिया
हाय ! लोचन झुर-झुर हो गई कारी,
इस जग को देखा मोय ने झाड़-विछोड़
बाबुल बिन कोई नाहिं, माया मों काया भई, बिखरी सूरत बहोड़
हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।
ओढ़ कोरी चुनरिया, मो तो जग देखन कूँ आई
जग सरवर, भेद न पायो अब मोये बाबुल याद सतायो
मैली चुनरिया लई, सखी री का से कहूँ, अब कूँ मा जाऊँ
न भयो मोये बाबुल अंगना, न भायो परदेस
हाय ! सखी री, बाबुल मो को दे दीनों परदेस।
जिया, झाड़-बिछोड़, बहुतेरे, झुर-झुर, भयो,
भायो, बिखरी, सरवर, भेद, कारी।