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Neena Ghai

Abstract

4.2  

Neena Ghai

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31 दिसम्बर 2020 की अंतिम रात

31 दिसम्बर 2020 की अंतिम रात

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एक खौफ़ बनाए अपना खेल

दिखाने के लिए आतुर हो रही थी अभी भी

न जाने सर्द और काली रात

जो बीते न बीत रही थी अभी भी l


2020 साल कुछ अपने में अलग – थलग सा था

पीछे मुड़ कर देखने या सोचने के लिए दुख- दर्द के सिवा

इस संसार में किसी के पास कुछ नहीं था

साल 2020 कुछ ऐसा ही बीता था l

अपने ही घर में रह कर महामारी के भय से भयभीत

इंसान-इंसान से दूर होता चला गया l


अपनो की लाश उठाना तो दूर,

पहचानने से भी इन्कार कर रहे था

आज कोई जयदाद का बटवारा नही था,

पर फिर भी लाशों के ढ़ेर लग गए थे l

श्मशान और कब्रिस्तान कम पड़ गए थे,


न जाने कितने बच्चे अनाथ,

और कितने घर उजड़ गए थे l

त्राहि- त्राहि कर रहा सारा संसार था ,

अजगर बन निगल गया हर छोटे-बङे को

यह 2020 का साल था l


चलते- चलते एक सबक भी सिखा गया है

खान- पान का सही सलीका सिखा गया है

घर परिवार में रहना सिखा गया है

स्वस्थ ठीक रखने के योग और नियम

भी सिखा गया है।


लेकिन न जाने क्यों जी चाहता है,

पलक झपकते ही बीत जाए यह

काली सर्द 31 दिसम्बर 2020 की रात l

लेकर आए पहली जनवरी 2021 नया सवेरा,

नयी उम्मीद की किरण

नयी उमंग के साथ  

विदा कर दें हम अपने सारे दुख- दर्द

इस 2020 की इस अन्तिम रात के साथ l

सर्द, आतुर, झपकते, उम्मीद, पलक, निगल,भयभीत।


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