मैं क्या लिख दूँ मैं क्या कह दूं
मैं क्या लिख दूँ मैं क्या कह दूं
सुबह सुबह उठकर, घर की जिम्दारियों को
अपनो मजबूत कंधों पर लेकर, चेहरे पर मुस्कान लिए
सबके लिए तुम इतना सबकुछ कैसे कर लेती हो
माँ तुम मुझको बतलाओ सेवाभाव पर
मैं क्या लिख दूँ, मैं क्या कह दूं।
खुद की ज़रूरतों को किनारे रखकर,
पहले सबकी जरुरतें पूरी करना
अपनी फिक्र छोड़कर सबकी फिक्र करना
माँ तुम मुझको बतलाओ त्याग और बलिदान पर
मैं क्या लिख दूँ, मैं क्या कह दूँ।
गर्भ में नौ मास तक रखना
फिर अनन्य प्रेम से लालन पालन करना
अपनी आजादी का त्याग करना
माँ तुम मुझको बतलाओ निशर्त प्रेम पर
मैं क्या लिख दूँ, मैं क्या कह दूँ।
हर सवालों को ध्यान से सुनना
और एक ही जवाब को बार बार देना
हर हालात को धैर्य से सम्भालना
माँ तुम मुझको बतलाओ धैर्य पर
मैँ क्या लिख दूँ, मैं क्या कह दूँ।
