मैं
मैं
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मैं रात का निशाचर
मैं दिन का प्रहरी
मैं कल कल बहता पानी
मैं धु धु करती ज्वाला
मैं ही बहती बयारी
मैं दिन का सूरज और उजाला
मैं रात का सितारा और अंधेरा
मैं ज्ञानी और अज्ञानी
मैं अभिमानी और स्वाभिमानी
मैं ही ब्रह्मा, नारायण और जटाधारी
मैं ही शक्ति और काली
मैं ही रावण और महिषासुर
मैं ही डर का साया
मैं ही सहास की सहस्त्रधारा
मैं रात का निशाचर
मैं दिन का प्रहरी।