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Motilal Das

Abstract

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Motilal Das

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घर

घर

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एक बच्ची

गीली मिट्टी से

अपना घर बनाती है

उस घर में,


रसोई के अलावा

फूल का बगीचा

भी रोपती है


और खिलखिला उठती है

एकटक निहारती है

अपने इस घर को


आँखों में तैरने लगते हैं

कई अनगिनत सपने 

और वह जानती है

सपनों के घर नहीं होते।


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