ये लड़कियां
ये लड़कियां
ये किसकी लड़कियाँ हैं
संस्कारों का क्या अच्छा मजाक बनाया है
पढ़ लिख कर ये कौन सी डगर जा रही हैं
ये किस पर अपनी जिन्दगी का दाव खेल रही हैं
घर की रौनक जिसे हम कहते रहे
वो मन चलों के चुगल में फंसी जा रही हैं
जरा सुनो क्या सपनों की उड़ान का दायरा
यही तक था क्या।
दो दिन के प्यार के ख़ातिर अपने तन की बलि दे दी।
अपने संस्कारों का अपने धर्म को सरेआम नीलाम कर दिया।
अभी भी होश में आओ यों अपनी संस्कृति का
मजाक मत बनाओ।
मां बाप के दिये संस्कारों पर अमल करो
अपने आत्म सम्मान का जरा तो ख्याल करो।
सुनो अपने उड़ान की डगर पर पंख फैलाओ
पर पंखों की उड़ान की डोर किसी और के
हाथ में मत पकड़ा दो।
चीलों की इस बस्ती में घोंसले को जरा निगरानी में रखो।
घरों में घात लगाये बैठे दानव हुए मद में चूर
हे रघुवीर दानवों का करने सर्वनाश
अब धरती पे आओ नाथ
द्रोपदी की लाज बचाने के खातिर हे नाग नचाया
अब फिर धरती पर आना ही पड़ेगा।