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bhawana Barthwal

Inspirational

4  

bhawana Barthwal

Inspirational

मेरे घर गांव का शोर

मेरे घर गांव का शोर

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मेरे गांव में शोर तो था पर वो आत्मा को तर कर देता था

हां शोर तो था चिड़िया के चहकने का जो मन को शांत कर जाता था।

 शोर था सर सर हवा के चलने का।

शोर था दादी के पुकारने का

शोर था गायों के रमभाने का।

गोधूलि से उड़ते मिट्टी का शोर

शोर था बर्फ के पडने का फर फर का शोर

सच कितना प्यारा शोर था।

अभी एक और शोर जो रोमांचित करता था।

मेरे गांव में बन्दरों के आने का ।

हां बहुत प्राकृतिक मनोरंजन के साधन थे मेरे गांव में।

  सब कुछ मन को सुकून देते थे।

पर इस शहर की आबोहवा ने सब कुछ तबाह कर दिया है साहब।

  ना नींद है ना भूख है ना मन शान्त है। 

  शोर इतना की हर पल अपनी गांव याद आती है।


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