रुक नहीं तू चलता चल
रुक नहीं तू चलता चल
रुक नहीं तू चलता चल
नदी की तरह बहता चल
बुराइयां आएगी बहुत
लंबी रास्ते मे तेरे
समाहित कर
खुद को परिष्कृत कर
अनवरत, धुन में राम के
तू रमता चल।
रुक नहीं तू चलता चल
नदी की तरह बहता चल।
थमे हुए को भी रगड़ता चल
थामे का हाथ पकड़
चमक और चमकाता चल
ज्यादा प्यार दुलार ठीक नहीं
डाँट-डपट फिर धैर्य से
उसे समझाता चल।
रुक नहीं तू चलता चल
नदी की तरह बहता चल।
ग़मों की अँधियां चलेगी बहुत
मुसीबतें आकर टालेगी बहुत
घबरा नहीं तू, मत पीछे चल
अडिग अटल विश्वास से
कदम-कदम बढ़ाता चल
हंसता मुस्कुराता चल।
रुक नहीं तू चलता चल
नदी की तरह बहता चल...।